India's launch vehicle GSLV D5
जीएसएलवी-डी5 महत्वाकांक्षा की उड़ान जीएसएलवी-डी5 भारत के भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान की आठवीं उड़ान है। यह हमारे संचार उपग्रह जीसैट-14 को करीब 36 हजारकिलोमीटर ऊंचाई पर भूस्थिर कक्षा में स्थापितकरेगा। इस उड़ान के दौरान स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक इंजन का दूसरी बार उड़ान परीक्षण होगा। अभी तक इसरो रूस से मिले क्रायोजेनिकइंजनकोकाममें लेता रहा है। जीएसएलवी की इससे पहले की दो उड़ानें नाकाम रही थीं। आकार इसलिएजीएसएलवी-डी5 मिशन की सफलता देश के महत्वाकांक्षी पेलोड अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए बेहदमहत्वपूर्ण है। इसके बलपर भारत उपग्रह प्रक्षेपण बाजार के बड़े हिस्सेकोभीनियंत्रितकर सकेगा। जीसैट-14 संचार क्रांति की राह में एक कदम और वजन : 1982किलोग्राम : 2X2x3.6मीटर : 6 एक्सटेंडेड सी- बैंड ट्रांसपोंडर 6 केयू- बैंडट्रांसपोंडर 2केए-बैंडबीकन प्रक्षेपण तिथिः 5 जनवरी 2014 लम्बाई : 49.13 मीटर कार्यकाल : 12वर्ष :16.18 बजे उड़ान अवधि : 17 मिनट 8 सेकेंड चरण : 3 पांच तरह के ईंधन समय वजन :414.75 टन कक्षास्थिति : भूस्थिर कक्षा में 74 डिग्रीपूर्व पहला चरण जीसैट-14 भारत में डिजिटल एचटीपीबी (सॉलिड बूस्टर में ), यूएच25 और नाइट्रोजन टेट्रॉक्साइड (चार लिक्चिड स्ट्रैप-ऑन में) दूसरा चरण यूएच25 और नाइट्रोजन टेट्रॉक्साइड तीसरा चरण तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन प्रसारण और उपग्रह आधारित अन्य संचार कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे दूरस्थ शिक्षा और टेलीमेडिसिन व्यवस्था के प्रसार में भीमददमिलेगी। भारत का अपना क्रायोजेनिक इंजन क्रायोजेनिक इंजनभारत के भावी अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह स्वदेशनिर्मित क्रायोजेनिक इंजन की दूसरी परीक्षण उड़ान होगी। पहले प्रयास में इसरोको असफलता हाथ लगी थी। क्रायोजेनिक इंजनपरंपरागत ठोस और तरलईधनआधारित इंजनों केमुकाबले ज्यादा समर्थ और उपयोगी होते हैं। लेकिन अत्यधिक कम तापमान वाले ईंधनों और इनसे जुड़ी चुनौतियों के कारण ये ज्यादा जटिल भी होते हैं। उल्लेखनीय है ऑक्सीजन गैस माइनस 183 और हाइड्रोजनमाइनस 253 डिग्रीसेल्सियसपर तरलावस्था में आती हैं। स्रोत : इसरो इन्फ़ोलिम्नर
India's launch vehicle GSLV D5
Source
http://www.isro.org/Category
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